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Tuesday, March 29, 2011

पंचायतराज लेखा नियमावली बदली


पंचायतराज लेखा नियमावली बदली
लखनऊ, 28 मार्च (जाब्यू) : 13 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के मुताबिक सरकार ने पंचायतों की लेखा व्यवस्था में कसाव लाने का फैसला लिया। सोमवार को मंत्रिपरिषद ने पंचायत राज नियमावली 1947 तथा उप्र जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत (बजट व सामान्य लेखा) नियमावली 1965 के संगत नियमों में संशोधन पर मोहर लगा दी। सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी दी कि मंत्रिपरिषद की बैठक में उप्र पंचायत राज नियमावली 1947 के नियम-186 में संशोधन किया गया है। नए फैसले के तहत अब प्रत्येक ग्राम पंचायत व न्याय पंचायत के लेखों की लेखा परीक्षा व्यवस्था, मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, सहकारी समितियां तथा पंचायतें उप्र के आदेशों के अधीन विहित प्राधिकारी द्वारा, राज्य सरकार के निर्देशानुसार की जाएंगी। अग्रेतर ग्राम पंचायतों के संबंध में भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक की वार्षिक तकनीकि निरीक्षण रिपोर्ट और प्रदेश के मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा विधान मंडल के समक्ष रखी जाएंगी। सरकार ऐसी रिपोर्टो पर की गई कार्रवाईयों की संवीक्षा और अनुश्रवण के लिए समुचित व्यवस्था भी करेगी। यह नियमावली अब उत्तर प्रदेश पंचायत राज (सत्रहवां संशोधन) नियमावली 2011 कही जाएगी। इसके अलावा उप्र क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत अधिनियम 1961 के तहत प्रख्यापित उप्र जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत (बजट एवं सामान्य लेखा नियमावली)-1965 को संशोधित कर नियम-176 में कई संशोधन किए है। जिसके तहत प्रतिस्थापित नियम 176 के अनुसार हर बिंदू पर जिला पंचायत/ क्षेत्र पंचायत की टीका टिप्पणी व विनिश्चयों के साथ लेखा परीक्षा की टिप्पणी निर्दिष्ट बैठक आयोजित होने के एक पक्ष के भीतर परीक्षक को प्रेषित की जाएगी। उसी समय दो प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भेजनी होंगी। साथ ही अध्यक्ष/प्रमुख द्वारा हस्ताक्षर कर एक-एक प्रति संबंधित कार्यालय में निरीक्षणकर्ता अधिकारी के उपयोगार्थ रखी जाएगी। जिला मजिस्ट्रेट अपनी टीका टिप्पणी सहित निरीक्षण की टिप्पणीकृत प्रतियां मंडलायुक्त तथा आयुक्त कृषि उत्पादन और ग्रामीण विकास को प्रेषित करेंगे।

Friday, March 18, 2011

अमरीका-भारत परमाणु करार मंजूर कराने को दिए थे 10-10 करो़ड


IST
 mps given bribe to get approval on us indo nuke deal

अमरीका-भारत परमाणु करार मंजूर कराने को दिए थे 10-10 करो़ड

नई दिल्ली। भारत-अमरीका परमाणु समझौते पर विश्वास-मत हासिल करने के लिए सरकार ने सांसदों की खरीद-फरोख्त की थी। विकिलीक्स ने अपने खुलासे में बताया है कि इसके लिए राष्ट्रीय लोकदल के सांसदों को 10-10 करो़ड रूपए दिए गए थे। विकिलीक्स के इस ताजा खुलासे के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा और वामदलों के सांसदों ने सरकार पर हमला बोल दिया है। इसे लेकर संसद में गुरूवार को जबर्दस्त हंगामा हुआ।
विकिलीक्स के मुताबिक जल डील पर मतदान में सिर्फ पांच दिन शेष रह गए थे, तो कांग्रेस के नेता सतीश शर्मा के सहायक नचिकेता कपूर वोटिंग में कुछ सांसदों को अपने पक्ष में करने के लिए भारी धनराशि की व्यवस्था में लगे थे। विकिलीक्स ने दस्तावेजों के मुताबिक अजितसिंह की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के चार सांसदों को खरीदने के लिए 10-10 करो़ड रूपए दिए गए थे।
विकिलीक्स के दस्तावेजों में अमरीकी अधिकारियों ने सतीश शर्मा को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी का करीबी बताया है। दस्तावेज के मुकाबिक अमरीकी दूतावास के एक अधिकारी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतीश शर्मा के एक सहयोगी ने रूपयों भरी दो तिजोरियां दिखाकर कहा था कि इनमें 50 से 60 करो़ड रूपए हैं, जिनका इस्तेमाल घूस के लिए किया जाना है। द हिंदू अखबार के मुताबिक नवंबर, 2008 में सतीश शर्मा के इस सहयोगी को अमरीकी विदेश मंत्रालय के आई-वोट कार्यक्रम के तहत अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव को देखने पर्यवेक्षक के बतौर भेजा था।
हालांकि अजित सिंह ने मीडिया से बातचीत में इन आरोपों से साफ इनकार किया है। उन्होंने विकिलीक्स के खुलासे को गलत ठहराते हुए कहा कि हमारे पास तीन सांसद थे, जबकि विकिलीक्स के मुताबिक हमारी पार्टी के चार सांसदों को पैसे मिले। उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही डील के खिलाफ थे, पक्ष में वोट डालने का सवाल ही नहीं उठता। उनका कहना है कि विभिन्न दलों से सलाह मशविरे के बाद उनकी पार्टी ने अपना रूख पहले ही स्पष्ट कर दिया था। उल्लेखनीय है कि उस दौरान भारतीय जनता पार्टी के तीन सांसद लोकसभा में रूपयों से भरा बैग लेकर सदन में आए और उन्होंने आरोप लगाया था कि यह रूपए उन्हें संप्रग सरकार के विश्वासमत के दौरान अनुपस्थित रहने के लिए दिए गए थे। इस पर सदन में भारी हंगामा हुआ था। इस पर सरकार ने कहा था कि यह सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश का हिस्सा है।

Wednesday, March 09, 2011

‘माननीयों’ के इलाकों में ही मनरेगा बदहाल


न खर्च हो पाया पूरा पैसा और न पूरे हुए काम, कई के यहां सबको 100 दिन रोजगार नहीं
‘माननीयों’ के इलाकों में ही मनरेगा बदहाल
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अखिलेश वाजपेयी
लखनऊ। यूपी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम ‘मनरेगा’ की गाड़ी पटरी पर नहीं आ पा रही है। आम इलाकों की बात तो दूर जिस संप्रग सरकार ने इस कानून को बनाया है। उस सत्तारूढ़ गठबंधन की मुखिया के इलाके में भी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल बदहाल है।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के इलाके अमेठी (सुल्तानपुर) की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। केंद्र के अन्य कई ‘माननीयों’ के इलाकों में भी यही स्थिति है। प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद का जिला चित्रकूट की भी हालत अलग नहीं है। सभी जिलों में भरपूर पैसा मौजूद है। पर, काम देने की रफ्तार तेजी नहीं पकड़ पा रही है। ग्रामीण बेरोजगारों को सौ दिन का रोजगार देने का भी बुरा हाल है। रायबरेली में अब तक सवा लाख जॉब कार्ड धारक परिवारों को काम दिया गया है। पर, इनमें मात्र 2842 परिवारों के 12 हजार व्यक्ति ही ऐसे खुशनसीब रहे जिन्हें सौ दिन या इससे ऊपर काम मिल पाया। वित्तीय वर्ष खत्म होने को है लेकिन 50 प्रतिशत भी धन अभी खर्च नहीं हो पाया है।
वैसे राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र अमेठी अब छत्रपति शाहू जी महराजनगर नाम से नवसृजित जिले में आता है। इसलिए इसके अलग से पूरे आंकड़े नहीं उपलब्ध हैं। पर, रायबरेली व सुल्तानपुर के आंकड़े मिलाकर यहां की तस्वीर का अंदाज लगाया जा सकता है। यहां भी अब तक लगभग 63 हजार परिवारों को रोजगार दिया गया। पर, इनमें 923 परिवारों के लगभग 5 हजार व्यक्ति ही ऐसे खुशनसीब हैं जिनका 100 दिन रोजगार पाने का सपना साकार हो पाया। अगर उपलब्ध धन के खर्च की स्थिति देखें तो यहां कुल निधि का तिहाई धन भी खर्च नहीं हो पाया है। कामों के पूरा होने का प्रतिशत भी काफी दयनीय है।
सोनिया गांधी- रायबरेली
कुल कार्य28,137
पूर्ण20
बजट119.78 करोड़
व्यय55.03 करोड़
जॉब कार्ड
धारक परिवार1,85036
काम मांगा1,28202
रोजगार 1,27762
सौ दिन या ऊपर का रोजगार
2842 परिवार
राहुल गांधी -अमेठी
कुल कार्य16,879
पूर्ण17
बजट90.64 करोड़
व्यय27.15 करोड़
जॉब कार्ड
धारक परिवार1,62114
काम मांगा64,758
रोजगार 63,570
सौ दिन या ऊपर का रोजगार
923 परिवार
सलमान खुर्शीद- फर्रुखाबाद
कुल कार्य10,178
पूर्ण22
बजट48.38 करोड़
व्यय22.18 करोड़
जॉब कार्ड
धारक परिवार97,418
काम मांगा44,846
रोजगार 44,731
सौ दिन या ऊपर का रोजगार
1836 परिवार
कुछ जिलों में जरूर स्थिति खराब है। इन जिलों के अधिकारियों पर सख्ती की जा रही है। पूरी स्थिति समझने के लिए दूसरे प्रदेशों से भी तुलना करनी पड़ेगी। प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है।
- मनोज कुमार सिंह,
ग्राम्य विकास सचिव

Sunday, March 06, 2011

जलकर राख हुई रूबीना की यादे


 

स्लमडॉग की ‘लतिका’ हुई बेघर

 
Source: ब्यूरो   |   Last Updated 00:25(06/03/11)
 
 
 
मुंबई. उपनगरीय मुंबई के ब्रांदा इलाके में शुक्रवार रात लगी भीषण आग ने करीब दो हजार परिवारों को बेघर कर दिया। इनमें ऑस्कर विजेता फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर की बाल कलाकार रुबीना अली का घर भी शामिल है। रुबीना ने अपने लतिका के किरदार से दुनिया भर में नाम कमाया था।

इस आग में 21 लोग झुलसकर जख्मी हुए हैं, जिसमें चार दमकल कर्मचारी शामिल हैं। लोगों का आरोप है कि इसके पीछे स्थानीय बिल्डर का हाथ है, जो वहां पुनर्विकास योजना लाना चाहता है। आग इतनी भयंकर थी कि उसे बुझाने के लिए दमकल कर्मचारियों को सात घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

जबकि आग पर काबू पाने के लिए 26 दमकल गाड़ियां और 16 जम्बो पानी टैंकरों का इस्तेमाल किया गया था। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और सभी घायलों को उपचार के लिए पास के भाभा अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बारह वर्षीय रुबीना ने कहा कि मैं रात को टीवी देख रही थी, तभी हमें पड़ोसी से आग लगने की खबर मिली। हम सब सिर्फ अपने कपड़े लेकर घर से बाहर निकल आए। इसके बाद देखते-देखते हमारा घर जलकर खाक हो गया। आग में हमारा सारा कीमती सामान, किताबें, फोटो, ट्राफी, अखबार की क्लिीपिंग समेत फिल्म से जुड़ी सभी यादें जल गईं।

हमने सारी रात रेलवे स्टेशन पर गुजारी, पर कोई भी हमारी मदद को नहीं आया। आग की चपेट में आकर रेलवे का पादचारी पुल का हिस्सा भी जलकर ढह गया है। इस कारण पास से गुजरने वाली हार्बर लाइन की रेल सेवा ठप पड़ गई थी।

इस बीच जानी-मानी समाजसेवक मेधा पाटकर ने शनिवार को घटनास्थल का दौरा किया और प्रकरण की जांच की मांग की। श्रीमती पाटकर ने कहा कि आगजनी के पीछे एक स्थानीय बिल्डर के हाथ होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए मामले की जांच होनी चाहिए और आग के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए।

श्रीमती पाटकर ने बेघर हुए प्रत्येक परिवार को 50,000 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक की मदद देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार इन सभी लोगों को फौरन सिर छुपाने का आसरा प्रदान करे। गौरतलब है कि दो साल पहले 2009 में भी यहां इसी तरह की भीषण आग लग चुकी है। उस वक्त भी आग ने सैंकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया था।

Saturday, March 05, 2011

Silli Hawa Chhoo Gai

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान



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राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RSMA) का उद्देश्य है माध्यमिक शिक्षा– कक्षा 8 से 10 तक, विस्तारित करना तथा उसका स्तर सुधारना। यह प्रत्येक स्थान पर 5 किलोमीटर व्यास के क्षेत्र में माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 10 तक) की उपलब्धता सुनिश्चित कर माध्यमिक शिक्षा को देश के हर कोने में भी ले जाएगा। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RSMA), माध्यमिक शिक्षा के वैश्वीकरण (USE) का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत सरकार की नवीनतम पहल है।
लाखों बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा देने के लिए सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RSMA) काफी हद तक सफल रहा है एवं इसने पूरे देश में माध्यमिक शिक्षा के आधारभूत ढांचे को शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता उत्पन्न कर दी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह बात गौर से देखी है तथा अब वह 11वीं योजना के दौरान 20,120 करोड़ रुपये के कुल व्यय पर राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) नामक एक माध्यमिक शिक्षा योजना लागू करने पर विचार कर रही है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार- “सर्व शिक्षा अभियान सफलतापूर्वक लागू होने से बड़ी संख्या में छात्र उच्च प्राथमिक कक्षाओं में उत्तीर्ण हो रहे हैं तथा माध्यमिक शिक्षा के लिए ज़बरदस्त मांग उत्पन्न कर रहे हैं।”

दृष्टि
माध्यमिक शिक्षा की दृष्टि है 14-18 वर्ष आयु समूह के सभी युवाओं को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा सुलभ तथा वहन योग्य तरीके से उपलब्ध कराना। इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित को हासिल किया जाना है:
  • किसी भी अधिवास क्षेत्र के लिए वाजिब दूरी पर माध्यमिक विद्यालय की सुविधा उपलब्ध कराना, जो कि माध्यमिक विद्यालय के लिए 5 किलोमीटर तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर पर 7-10 किलोमीटर के अंदर हो,
  • 2017 तक सभी को माध्यमिक शिक्षा की सुलभता सुनिश्चित करना (100% GER), एवं
  • 2020 तक सभी बच्चों को स्कूल में बनाये रखना,
  • समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों के विशेष सन्दर्भ में, शैक्षिक रूप से पिछड़ों, लड़कियों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे असमर्थ बच्चों एवं अन्य पिछड़े वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों (EBM) को माध्यमिक शिक्षा सुगमतापूर्वक ढंग से उपलब्ध कराना।



लक्ष्य एवं उद्देश्य
माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (यूनिवर्सलाइज़ेशन ऑफ सॆकंडरी एजुकेशन, USE) की चुनौती का सामना करने के लिए माध्यमिक शिक्षा की परिकल्पना में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में मार्गदर्शक तत्व हैं: कहीं से भी पहुंच, सामाजिक न्याय के लिए बराबरी, प्रासंगिकता, विकास, पाठ्यक्रम एवं ढांचागत पहलू। माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण अभियान बराबरी की ओर बढ़ने का मौका देता है। आम स्कूल की परिकल्पना प्रोत्साहित की जाएगी। यदि प्रणाली में ये मूल्य स्थापित किए जाते हैं, तो अनुदान रहित निजी विद्यालयों सहित सभी प्रकार के विद्यालय भी समाज के निचले वर्ग के बच्चों एवं गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों के बच्चों को उचित अवसर देना सुनिश्चित कर माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (USE) के लिए योगदान देंगे।


मुख्य उद्देश्य:

  • यह सुनिश्चित करना कि सभी माध्यमिक विद्यालयों में भौतिक सुविधाएं, कर्मचारी हों तथा स्थानीय सरकार/निकायों एवं शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के मामले में कम से कम सुझाए गए मानकों के अनुसार, एवं अन्य विद्यालयों के मामले में उचित नियामक तंत्र के अनुसार कार्य हों,
  • नियमों के अनुसार सभी युवाओं को माध्यमिक विद्यालय स्तर की शिक्षा सुगम बनाना- नज़दीक स्थित करके (जैसे कि माध्यमिक विद्यालय 5 किलोमीटर के भीतर एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 7-10 किलोमीटर के भीतर) / दक्ष एवं सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था/ आवासीय सुविधाएं, स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार, मुक्त स्कूलिंग सहित। लेकिन पहाड़ी तथा दुर्गम क्षेत्रों में, इन नियमों में कुछ ढील दी जा सकती है। ऐसे क्षेत्रों में आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाने को तरजीह दी जा सकती है।
  • यह सुनिश्चित करना कि कोई भी बालक लिंग, सामाजिक-आर्थिक, असमर्थता या अन्य रुकावटों की वज़ह से गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक शिक्षा से वंचित न रहे,
  • माध्यमिक शिक्षा का स्तर सुधारना, जिसके परिणामस्वरूप बौद्धिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक सीख बढ़े,
  • यह सुनिश्चित करना कि माध्यमिक शिक्षा ले रहे सभी छात्रों को अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले,
  • उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति, अन्य बातों के साथ-साथ, साझा विद्यालय प्रणाली (कॉमन स्कूल सिस्टम) की दिशा में महती प्रगति को भी दर्शाएगी।



द्वितीय चरण के लिए तरीका एवं रणनीति
संख्या, विश्वसनीयता एवं गुणवत्ता की चुनौती का सामना करने के लिए माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (USE) के सन्दर्भ में, अतिरिक्त विद्यालयों, अतिरिक्त कक्षों, शिक्षकों एवं अन्य सुविधाओं के रूप में बड़े पैमाने पर लागत आएगी। साथ ही साथ, इसमें आकलन/शैक्षकीय आवश्यकताओं के प्रावधान, भौतिक ढांचे, मानव संसाधन, अकादमिक जानकारी एवं कार्यक्रम लागू करने की प्रभावी निगरानी की भी आवश्यकता है। शुरू में यह योजना कक्षा 10 के लिए होगी। तत्पश्चात्, जहां तक हो सके लागूकरण के दो वर्षों के भीतर, उच्चतर माध्यमिक स्तर को भी लिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा तक सभी की पहुंच बनाने एवं उसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए रणनीति इस तरह है:

पहुँच
देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा में बड़ी असमानता है। निजी तथा सरकारी विद्यालयों के बीच असमानताएं हैं। गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक शिक्षा के लिए एकसमान पहुंच प्रदान करने के लिए, यह स्वाभाविक है कि राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए विस्तृत नियम विकसित किए जाएं तथा प्रत्येक राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के लिए प्रावधान किए जाएं– न सिर्फ राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक, भाषागत एवं सांख्यिकीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए बल्कि जहां ज़रूरी हो, स्थानीय जगह के अनुसार भी। माध्यमिक विद्यालयों से नियम सामान्यतौर पर केन्द्रीय विद्यालयों के तुल्य होने चाहिए। ढांचागत सुविधाओं एवं सीखने के संसाधनों का विकास निम्नलिखित तरीकों से किया जाएगा,
  • मौजूदा विद्यालयों में माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की शिफ्टों का विस्तार/रणनीति,
  • सूक्ष्म नियोजन के आधार पर सभी आवश्यक ढांचागत सुविधाओं एवं शिक्षकों सहित उच्च प्राथमिक विद्यालयों का उन्नयन। प्राथमिक विद्यालयों के उन्नयन के समय आश्रम विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी,
  • आवश्यकता के आधार पर माध्यमिक विद्यालयों का उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में उन्नयन,
  • स्कूल मैपिंग प्रक्रिया द्वारा अब तक अछूते रहे क्षेत्रों में नए माध्यमिक विद्यालय/उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खोलना। इन सभी इमारतों में वर्षा-जल संचय प्रणाली अनिवार्य रूप से होगी तथा उसे विकलांगों के लिए मित्रवत् बनाया,
  • वर्षा-जल संचय प्रणालियां मौजूदा विद्यालयों में भी लगाई जाएंगी,
  • मौजूदा स्कूलों की इमारतों को भी विकलांगो के लिए मित्रवत् बनाया जाएगा,
  • नए विद्यालयों को भी सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर स्थापित किया जाएगा।



गुणवत्ता
  • आवश्यक ढांचागत सुविधाएं, जैसे श्यामपट्ट, कुर्सियाँ, पुस्तकालय, विज्ञान एवं गणित की प्रयोगशालाएं, कम्प्यूटर प्रयोगशालाएं, शौचालय आदि की सुविधाएँ उपलब्ध कराना,
  • अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति तथा शिक्षकों का कार्य के दौरान प्रशिक्षण,
  • कक्षा 8 उत्तीर्ण कर रहे छात्रों की सीखने की क्षमता में वृद्धि के लिए सेतु-पाठ्यक्रम,
  • राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना (National Curriculum Framework, NCF, 2005) के मानकों की अपेक्षा के अनुसार पाठ्यक्रम का पुनरावलोकन,
  • ग्रामीण तथा दुर्गम पहाड़ी इलाकों में शिक्षकों के लिए आवासीय सुविधा,
  • महिला शिक्षकों को आवासीय सुविधा के लिए प्राथमिकता दी जाएगी


न्याय
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए मुफ्त भोजन/आवास की सुविधाएं,
  • लड़कियों के लिए छात्रावास/आवासीय विद्यालय, नकद प्रोत्साहन, स्कूल ड्रेस, पुस्तकें व अलग शौचालय की सुविधाएँ,
  • प्रावीण्य सूची में आए/ज़रूरतमंद छात्रों को माध्यमिक स्तर पर छात्रवृत्ति प्रदान करना,
  • सभी गतिविधियों की विशिष्टता होगी संयुक्त शिक्षा। सभी विद्यालयों में विभिन्न क्षमताओं के बच्चों के लिए सभी सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास किए जाएंगे,
  • मुक्त एवं दूरस्थ सीखने की ज़रूरतों के फैलाव की आवश्यकता, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो पूर्णकालिक माध्यमिक शिक्षा हासिल नहीं कर सकते, तथा आमने-सामने बैठकर निर्देशों के लिए पूरक सुविधा/सुविधाओं में वृद्धि। यह प्रणाली विद्यालय के बाहर छात्रों की शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


संस्थागत सुधार एवं स्रोत संस्थाओं का सशक्तीकरण
केन्द्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य में आवश्यक प्रशासनिक सुधार पूर्व-शर्त होगी। इन संस्थागत सुधारों में शामिल हैं-
  • विद्यालय प्रशासन में सुधार– प्रबन्ध तथा जवाबदारियों के विकेन्द्रीकरण द्वारा विद्यालयों के प्रदर्शन में सुधार,
  • शिक्षकों की भर्ती, नियुक्ति, प्रशिक्षण, वेतन एवं करियर विकास की न्यायोचित नीति आत्मसात करना,
  • शैक्षणिक प्रशासन में आधुनिकीकरण/ई-शासन एवं ज़िम्मेदारी बांटना/ विकेन्द्रीकरण करना
  • सभी स्तरों पर माध्यमिक शिक्षा प्रणाली में आवश्यक व्यावसायिक एवं अकादमिक जानकारी का प्रावधान,
  • कोषों के त्वरित प्रवाह एवं उनके अधिकतम उपयोग के लिए वित्तीय प्रक्रियाओं का सरलीकरण,
  • विभिन्न स्तरों पर स्रोत संस्थाओं का आवश्यक सशक्तीकरण, उदाहरण के लिए,
    • राष्ट्रीय स्तर पर- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (RIEs सहित), राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (NUEPA) एवं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS),
    • राज्य स्तर पर- राजकीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (SCERT), राज्य के मुक्त विद्यालय, राजकीय शैक्षिक प्रबंधन और प्रशिक्षण संस्थान (State Institute of Educational Management and Training, SIEMAT) आदि एवं
    • विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग, विज्ञान/सामाजिक विज्ञान/मानविकी शिक्षा क्षेत्र की प्रसिद्ध संस्थाएं, एवं केन्द्र प्रायोजित शिक्षकों की शिक्षा योजना, शिक्षक शिक्षण कॉलेज/ शिक्षा में उन्नत अध्ययन की संस्थाएं।


पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी
नियोजन प्रक्रिया लागू करने तथा उसपर निगरानी रखने एवं सतत विकास के लिए पंचायती राज एवं नगर निगम, समुदाय, शिक्षकों, पालकों एवं अन्य हिस्सेदारों की माध्यमिक शिक्षा में विद्यालय प्रबंध समितियों एवं पालक-शिक्षक संघों जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से भागीदारी।


भारत सरकार की चार योजनाएँ: 
भारत सरकार द्वारा चार केंद्र प्रायोजित योजनाएं संचालित की जा रही हैः
  • राज्य सरकारों को माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षा एवं कम्प्यूटर की मदद से शिक्षा देने के लिए विद्यालयों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT),
  • राज्य सरकारों तथा गैर सरकारी संस्थाओं (NGOs) द्वारा असमर्थ बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए असमर्थ बच्चों की एकीकृत शिक्षा (IEDC),
  • गैर सरकारी संस्थाओं (NGOs) को ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के छात्रावास चलाने में सहायता देने के लिए माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की बालिकाओं के लिए खानपान एवं छात्रावास सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण (पहुँच एवं न्याय),
  • अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान ओलिम्पियाड को सहायता के साथ-साथ विद्यालयों में गुणवत्ता में वृद्धि जिसमें योग की शुरुआत, विद्यालयों में विज्ञान की शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा एवं जनसंख्या शिक्षा के लिए राज्य सरकारों को सहायता देने का प्रावधान शामिल है, वर्त्तमान रूप या संशोधित रूप में ये सभी योजनाएं, नई योजना के साथ मिल जाएँगी,
  • वित्तीय रूप से कमजोर बच्चों को स्वयं के रोज़गार या अंशकालीन रोज़गार के लिए तैयार कर सीखने के दौरान आय अर्जित करने का प्रावधान। राज्य / केंद्र शासित प्रदेश प्रखंड व जिला स्तर पर वोकेशनल प्रशिक्षण केन्द्र एवं संस्थाएं स्थापित कर सकते हैं।



केंद्रीय विद्यालय एवं जवाहर नवोदय विद्यालय
इस क्षेत्र में तीव्रता लाने व उनके महत्व को देखते हुए केंद्रीय विद्यालय एवं जवाहर नवोदय विद्यालय की संख्या को बढ़ाया जाएगा एवं उनकी भूमिकाएं सशक्त की जाएँगी।


वित्तपोषण का तरीका तथा बैंक खाता खोलना

  • 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उत्तर पूर्वी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सभी हिस्सों को लागू करने के कुल खर्च का 75 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी (जहां वित्तपोषण योजना के अंतर्गत राज्यों तथा केंद्र के बीच साझा आधार पर होना है। उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए, इस खर्च का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा,
  • 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान सभी राज्य सरकारें तथा केंद्र शासित प्रदेश सभी हिस्सों को लागू करने के कुल खर्च का 25 प्रतिशत वहन करेंगे (जहां वित्तपोषण, योजना के अंतर्गत राज्यों तथा केंद्र के बीच साझा आधार पर होना है)। उत्तर पूर्वी राज्य इस खर्च का 10 प्रतिशत वहन करेंगे,
  • राज्य सरकार वर्त्तमान सर्व शिक्षा अभियान संस्था के ज़रिए कोषों के उपयोग तथा स्थानान्तरण के लिए संपूर्ण वित्तीय प्रबंध प्रणाली डिजाइन करेगी। इसमें पारदर्शिता, दक्षता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करना होगा, तथा अंतिम नतीजों के लिए कोषों के उपयोग पर नज़र रखनी होगी,
  • योजना के तहत राज्य, ज़िला एवं विद्यालय स्तर पर कोषों के लिए अलग-अलग खाते खोले जाएंगे। ये खाते सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में खोले जाएंगे। विद्यालय स्तर पर प्रधानाध्यापक या विद्यालय शिक्षा समिति के प्राचार्य तथा उप-प्राचार्य संयुक्त खाताधारक होंगे; ज़िला स्तर पर संयुक्त खाताधारक ज़िला कार्यक्रम समन्वयक होंगे,
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए, केन्द्र तथा राज्यों के बीच साझा-खर्च 50:50 में परिवर्तित हो जाएगा। उत्तरपूर्वी राज्यों के लिए, 11वीं तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना, दोनों के लिए साझा-खर्च 90:10 रहेगा।

इस संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करने हेतु यहाँ क्लिक करें।