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Tuesday, March 29, 2011

पंचायतराज लेखा नियमावली बदली


पंचायतराज लेखा नियमावली बदली
लखनऊ, 28 मार्च (जाब्यू) : 13 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के मुताबिक सरकार ने पंचायतों की लेखा व्यवस्था में कसाव लाने का फैसला लिया। सोमवार को मंत्रिपरिषद ने पंचायत राज नियमावली 1947 तथा उप्र जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत (बजट व सामान्य लेखा) नियमावली 1965 के संगत नियमों में संशोधन पर मोहर लगा दी। सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी दी कि मंत्रिपरिषद की बैठक में उप्र पंचायत राज नियमावली 1947 के नियम-186 में संशोधन किया गया है। नए फैसले के तहत अब प्रत्येक ग्राम पंचायत व न्याय पंचायत के लेखों की लेखा परीक्षा व्यवस्था, मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, सहकारी समितियां तथा पंचायतें उप्र के आदेशों के अधीन विहित प्राधिकारी द्वारा, राज्य सरकार के निर्देशानुसार की जाएंगी। अग्रेतर ग्राम पंचायतों के संबंध में भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक की वार्षिक तकनीकि निरीक्षण रिपोर्ट और प्रदेश के मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा विधान मंडल के समक्ष रखी जाएंगी। सरकार ऐसी रिपोर्टो पर की गई कार्रवाईयों की संवीक्षा और अनुश्रवण के लिए समुचित व्यवस्था भी करेगी। यह नियमावली अब उत्तर प्रदेश पंचायत राज (सत्रहवां संशोधन) नियमावली 2011 कही जाएगी। इसके अलावा उप्र क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत अधिनियम 1961 के तहत प्रख्यापित उप्र जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत (बजट एवं सामान्य लेखा नियमावली)-1965 को संशोधित कर नियम-176 में कई संशोधन किए है। जिसके तहत प्रतिस्थापित नियम 176 के अनुसार हर बिंदू पर जिला पंचायत/ क्षेत्र पंचायत की टीका टिप्पणी व विनिश्चयों के साथ लेखा परीक्षा की टिप्पणी निर्दिष्ट बैठक आयोजित होने के एक पक्ष के भीतर परीक्षक को प्रेषित की जाएगी। उसी समय दो प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भेजनी होंगी। साथ ही अध्यक्ष/प्रमुख द्वारा हस्ताक्षर कर एक-एक प्रति संबंधित कार्यालय में निरीक्षणकर्ता अधिकारी के उपयोगार्थ रखी जाएगी। जिला मजिस्ट्रेट अपनी टीका टिप्पणी सहित निरीक्षण की टिप्पणीकृत प्रतियां मंडलायुक्त तथा आयुक्त कृषि उत्पादन और ग्रामीण विकास को प्रेषित करेंगे।

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