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Tuesday, April 12, 2011

मनरेगा का सच


हमारे देश की राज्य सरकारों ने 2156787 दिनों का मनरेगा मजदूरों का बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया.अब जबकि 2010 -2011 का वित्तीय वर्ष समाप्त हो चुका है.सरकारों के पास बेरोजगारी भत्ता देने या हड़पने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है;काम भी नहीं बेरोजगारी भत्ता भी नहीं.एक बेहतरीन कानून राज्य सरकारों की दया भरोसे दम तोड़ रहा है और भारत सरकार मौन होकर तमाशबीन बनी हुई है.यह है हमारी व्यवस्था का संवेदना विहीन असली चेहरा
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ग्यारह लाख एक हजार सात सौ तेरह परिवारों का मनरेगा में काम के लिए राज्य सरकारों द्वारा पंजीकरण तो किया गया है किन्तु उन्हें जॉब कार्ड नहीं दिया गया है.न जॉब कार्ड,न काम .तो फिर कैसे रुकेगा गावों से शहरों की पलायन ? सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार की monitoring व्यवस्था कहाँ है और क्या कर रही है?जबकि सारी सूचनाएं वेबसाइट nrega .nic .in पर उपलब्ध हैं.कोई भी उसे देख सकता है तो भारत सरकार क्यों नहीं देख पा रही है

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एक तरफ 21 लाख 56 हजार 787 दिनों का सरकारों ने मनरेगा मजदूरों को काम नहीं दिया और दूसरी तरफ 20 लाख 35 हजार 203 परिवारों को 100 दिन से अधिक अर्थात 100 दिनों को छोड़कर 3 करोड़ 50 लाख 45 हजार 694 दिनों का अतिरिक्त काम दिया गया ( more than 100 days).यहाँ सरकार की वितरण व्यवस्था देखिये.बहुत लोगों को काम नहीं,जॉब कार्ड नहीं और बहुत लोगों को प्रधान के चहेतों को 100 दिन से अधिक का रोजगार.तो यही है social justice?



एक और सच देखिये 13129042/१ करोड़ 31 लाख 29 हजार 42 परिवारों को 15 दिन का भी सरकारें काम नहीं दे पाई हैं अर्थात Employment Provided Less Than 15 Days Tuesday, April 12, 2011 . यह है हमारे देश की सरकारों की वितरण व्यवस्था.http://164.100.12.7/netnrega/writereaddata/State_out/Less14day_1011.हटमल



रिपोर्ट कार्ड के रूप में एक और सच देखिये-2010 -2011 में कुल 307644 कार्य ही पूर्ण हुए हैं और 2414169 कार्य अभी चल रहे हैं.अर्थात लगभग 15 % कार्य ही पूर्ण हुए हैं.प्रश्न है की शेष कार्य कब पुरे होंगें?http://164.100.12.7/netnrega/w

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