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Friday, October 29, 2010

उत्तरप्रदेश सहकारी एवं पंचायत लेखापरीक्षक संगठन को सुधारने अथवा समाप्त किये जाने के सम्बन्ध में

   माननीय मुख्यमंत्री जी,
                                        उत्तरप्रदेश शासन 
                                             लखनऊ. 
                    विषय:  उत्तरप्रदेश सहकारी एवं पंचायत लेखापरीक्षक संगठन को सुधारने अथवा समाप्त किये जाने के सम्बन्ध में.
  महोदय,
                उक्त के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि उत्तरप्रदेश सहकारी एवं पंचायत लेखापरीक्षक संगठन,वित्त विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है.इस विभाग का कार्य सहकारिता एवं पंचायतीराज संस्थाओं की बाह्य लेखापरीक्षा करना है.1947 से इस विभाग द्वारा यह कार्य किया जा रहा है.
                वस्तु स्थिति  यह है कि इस विभाग के Auditors जब लेखापरीक्षा हेतु सहकारिता और पंचायतीराज संस्थाओं पर पहुँचते हैं तो सम्बंधित संस्था के सचिव उन्हें अभिलेख नहीं उपलब्ध कराते.जो उपलब्ध भी कराते हैं,वह ऐसा एहसास कराते हैं कि जैसे AUDIT कराकर उन्हों ने AUDITOR के ऊपर एहसान कर दिया. अर्थात उक्त संस्थाओं की लेखापरीक्षा  सचिव की दया पर निर्भर करती है.
               जिसके कारण उक्त संस्थाओं की लेखापरीक्षा नहीं हो पाती.लगभग 25000 ग्राम पंचायतें ही AUDIT होती हैं.क्षेत्र पंचायतें नाम मात्र की AUDIT होती हैं.यही हाल जिला पंचायतों का भी है.महतवपूर्ण बात तो यह है कि मनरेगा का FINANCIAL AUDIT MANDATORY है किन्तु उसका भी AUDIT नहीं हो रहा है.
               जिनका AUDIT होता भी है उनकी AUDIT आपतियों का अनुपालन होता ही नहीं है.
               यही हाल सहकारी संस्थाओं का भी है.लगभग 25 प्रतिशत संस्थाएं ही AUDIT होती हैं.
              इनसब के मूल में कारण यह है कि  उत्तरप्रदेश सहकारी एवं पंचायत लेखापरीक्षक संगठन का अपना कोई अधिनियम नहीं  है.AUDIT रिपोर्ट न ही विधानमंडल के पटल पर रखी जाती है,न ही कोई समिति ही है जो इस विभाग के लेखापरीक्षा प्रतिवेदनो कि जाँच ही करती है और न ही लोकलेखा समिति   के समक्ष ही रखी जाती है.
               जब AUDIT का कोई उद्देश्य ही नहीं पूरा होता है तो जरुरत क्या है उक्त विभागों का AUDIT कराने का.AUDIT सिर्फ AUDIT के लिए किये जाने कि कोई प्रासंगिकता नहीं है. 
              जरुरत यह कि इस विभाग का अधिनियम बने और इस विभाग को प्रभावशाली बनाया जाये.इस विभाग की उपयोगिता है.इस विभाग के लगभग सभी कार्मिक लोक सेवा आयोग से चुन कर आये हैं.लगभग 300 लोग P .C .S . से आयें  हैं.और विभाग के प्रभावशाली  न होने के कारण वे लोग ठगा महसूस करते हैं.उन्हें ऐसा लगता है की लोक सेवा आयोग के नाम पर वे धोखा खा गये.पूरा विभाग हीनभावना से ग्रस्त है कि उनके काम का कोई महत्व नहीं है. 
              मैंने स्वयं बहुत से पत्र इस विषय पर लिखा है किन्तु कोई भी कार्यवाही नहीं हुई.माननीय वित्त मंत्री जी व प्रमुख सचिव महोदय से कई बार  मिलकर भी कह अनुरोध कर चुका  हूँ.
              अनुरोध यह है कि उत्तरप्रदेश सहकारी एवं पंचायत लेखापरीक्षक संगठन को सुधारने के लिए कोई ठोस प्रयास करने का कष्ट करें.यदि लगता है कि नहीं सुधारा जा सकता तो कृपया इस विभाग को समाप्त करने की कार्यवाही कराने की कृपा करें .इस विभाग के लगभग 3000 कार्मिकों को किसी और विभाग में शिफ्ट कराने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाने कि कृपा करें.जिससे इस विभाग के 3000 कार्मिक चाहे वह अधिकारी  हों या कर्मचारी,सभी  हीन भावना से निकल सकें. आपकी महान कृपा होगी. 
         भवदीय                                                                                                                                                                                                
       अनिरुद्ध कुमार द्विवेदी
           अध्यक्ष
         ' आवाज़' (N.G.O.)
     6 /125,विपुल खंड ,                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            गोमतीनगर,लखनऊ 
                                                                                                                                                                                                                         

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